ये सचमुच हास्यास्पद है कि कांग्रेस पार्टी अडानी कंपनी को जमीन देने को महापाप बता रही है. कांग्रेस पार्टी को ऐसे आरोप लगाने का तो हक ही नहीं है. उद्योगपतियों को जो जमीन सस्ते दामों पर मिलती है वह कांग्रेस पार्टी व मनमोहन सिंह की नीतियों की वजह से मिलती है. अडानी को जमीन दिया गया वह SEZ (स्पेशल इकोनोमिक जोन) के कानून के तहत दिया गया. अडानी को सबसे पहले कांग्रेस की सरकार ने जमीन दी थी. कांग्रेस व राहुल गांधी या प्रियंका गांधी ने पिछले 10 सालों में SEZ के कानून को क्यों नहीं बदला. या फिर सोनिया गांधी की नेशनल एडवाईजरी कॉसिल के सदस्यों ने विरोध क्यों नहीं किया? इनमें से ज्यादातर लोग आजकल आम आदमी पार्टी में हैं या समर्थक हैं.
उद्योगपतियों को मुफ्त में जमीन देने के नियम को मनमोहन सिंह के दर्शनशास्त्र में इनसेन्टिव कहा जाता है. आज यह इनसेंटिव सभी विचाधारा व रंग के राजनीतिक दलों की सरकार उद्योगपतियों को दे रही है. बीजेपी हो, कांग्रेस हो, नीतीश हो, मुलायम हो, मायावती हो, ममता हो, पटनायक हो या फिर कोई भी हो.. ये सब इसी काम में लगे हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि जब ये विपक्ष में रहते हैं या फिर चुनाव हारने लगते हैं तो क्रोनी कैपिटलिज्म क्रोनी कैपिटलिज्म चिल्लाने लगते हैं.
वैसे समझने वाली बात यह है कि विकास के लिए जमीनों को आवंटित करना वैसे गलत नहीं है. इसमें दो बातों का ध्यान रखना जरूरी है. पहला यह कि जमीन का सदउपयोग इंफ्रास्ट्रकचर के विकास व रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले कामों में हो. और दूसरा, उद्योगपतियों को आवंटित जमीन किसानों की उपजाऊ जमीन न हो, किसानो से छीन कर न दी जाए. वनवासियों के अधिकारों का हनन न हो. इसका ख्याल रखना चाहिए. अडानी के मामले में जो जमीन दी गई उसपर गुजरात का पहला और देश का सबसे बेहतरीन बंदरगाह बना है. अडानी और मोदी के रिश्तों को स्थापित करने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गलत विषय को चुना है.
वैसे टीवी पर इस विषय पर प्रशांत भूषण को बोलते हुए सुना तो आश्चर्य हुआ. इन्हें तो अपने हिमाचल प्रदेश की जमीन के बारे में बताना चाहिए. ये न तो उद्योगपति हैं और न ही इन्होंने कोई कंपनी खोलने का ऐलान किया था फिर हिमालचल प्रदेश की जमीन का लैंडयूज क्यों बदला? रही बात आम आदमी पार्टी की तो आज आम आदमी पार्टी (AAP) के सदस्य मकसूद उल हसन काजमी ने केजरीवाल पर कुछ उद्योगपतियों के बीच मिलीभगत का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल अपने भाषणों में सिर्फ दो ही उद्योग घरानों का जिक्र क्यों करते हैं? यह पूछा है कि केजरीवाल हमेशा अंबानी पर हमले करते हैं, लेकिन रतन टाटा की तारीफ क्यों करते हैं? उन्होंने ये भी पर्दाफाश किया है कि 'मैं अच्छी तरह जानता हूं कि AAP नेता प्रशांत भूषण को सारी सूचनाएं और दस्तावेज देश का एक प्रभुत्वशाली औद्योगिक परिवार उपलब्ध करवाता है. प्रशांत भूषण अरविंद केजरीवाल का उपयोग कर औद्योगिक रंजिश चुकाने में एक औद्योगिक घराने का साथ दे रहे हैं.'
केजरीवाल जी को बताना चाहिए कि जब आपके ही सदस्य यह आरोप लगाते हैं तो आप किस मुंह से क्रोनी कैपिटलिज्म की बात करते हो? आपको काजमी साहब के सवालों का जवाब देना चाहिए.. और कहना चाहिए कि मैं.. केजरीवाल.. टाटा का दलाल नहीं हूं !!!! वर्ना हम तो वही सच मान लेंगे जो काजमी साहब कह रहे हैं.
-Dr. Manish Kumar, Editor Chauthi Duniya
No comments:
Post a Comment