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Tuesday, 15 April 2014

किताबों से कांग्रेस परेशान क्यों हैं?

संजय बारू और पी सी पारेख की दो किताबों से कांग्रेस क्यों परेशान हैं. इन दोनों किताबों में ऐसी क्या बात है जो कांग्रेस के लिए सबसे घातक साबित होगा. ये दोनों किताबों की वजह से सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह का शासनकाल व राजनीति काले अक्षर से लिखा जाएगा.. अब ये पता नहीं कि ये बात कांग्रेस की समझ में आई है या नहीं.. या फिर बीजेपी का इस पर ध्यान गया है या नहीं..

यूपीए ने अपना दस साल पूरा किया, चुनाव जीते और जो भी राजनीति की उसके दो स्तंभ थे.. दो मिथक.. एक यह कि सोनिया गांधी त्याग की प्रतिमूर्ति है.. उन्होंने सत्ता का त्याग किया.. और दूसरा यह कि मनमोहन सिंह ईमानदार हैं.. उनकी ईमानदारी पर कोई शक या सवाल नहीं किया जा सकता है.. पिछले दस सालों से यही दो मिथक कांग्रेस पार्टी के लिए अमृत का काम करता रहा.

2009 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने इन्हीं मिथकों की वजह से विजयी हुई थी. देश के कई संपादक व विश्लेषको ने आडवाणी को सत्ता का लोभी और सोनिया को त्याग की मूर्ति बताया. सोनिया को प्रधानमंत्री नहीं बनना था लेकिन फिर भी वो कम्यूनल आडवाणी से लड़ रही थी. आज जो सेकुलर लोग आडवाणी को स्वीकार करने को तैयार हैं वही लोग 2009 में आडवाणी को पानी पी पी कर कोस रहे थे.. यह बताया जा रहा था कि आडवाणी और अटल में आसमान जमीन का फर्क हैं.. मीडिया ने ऐसे कन्यूनल और फासीवादी विचारधारा वाले आडवाणी के खिलाफ त्याग की मूर्ति बना कर खड़ा कर दिया.. दूसरा मिथक, मनमोहन सिंह को लेकर था.. ये दुनिया के सबसे ईमानदार राजनेता के रूप में पेश किया गया.. त्याग की मूर्ति ने एक ईमादार व्यक्ति को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया था.. यही वजह है कांग्रेस के खिलाफ माहौल होते हुए भी लोभी और कम्यूनल आडवाणी हार गए...

संजय बारू और पी सी पारेख की किताबों ने इन्हीं मथकों को तोड़ा है. संजय बारू की किताब ने इस बात की पुष्टि की है कि सोनिया गांधी ने सत्ता का कभी परित्याग नहीं किया.. वो पावर से कभी अलग नहीं हुईं.. वो तो इतने दिनों तक बिना जिम्मेदारी के सरकार को अपनी उंगलियों पर नचा रही थी.. और देश का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सिर्फ सोनिया गांधी के आदेश को पालन करते थे.. आफिस में बैठते थे.. और विदेश यात्रा करते थे.. संजय बारू की किताब ने "त्याग की मूर्ति" और "सत्ता जहर है" जैसे छलावे को बेनकाब कर दिया.... वहीं पी सी पारेख की किताब ने साफ साफ साबित कर दिया कि मनमोहन सिंह दूध के धुले नहीं है.. उन्हें कोयला घोटाले के बारे में सब कुछ पता था.. बस वो इसे रोकने की हिम्मत नहीं दिखा सके.. इन दोनों किताबों ने बताया कि मनमोहन सिंह की आकर्मण्यता की वजह से यूपीए सरकार आजाद हिंदुस्तान की सबसे भ्रष्टतम सरकार बन गई..

कांग्रेस की समस्या यह है कि इन दोनों मिथकों के टूटने के बाद दूसरा कोई मिथक नहीं बचा.. जिससे वो देश की जनता को छल सके.. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी के नेता किताब पर सवालिया निशान लगा रहे हैं.. संजय बारू को विश्वासघाती कह रहे हैं.. कांग्रेस के मीडिया मैनेजर व अलग अलग न्यूजपेपर के संपादक इन किताबों की टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं.. यही वजह है कि सोनिया गांधी को देश के नाम संदेश देना पड़ा..
अरे भई.. किताब हमने लिखी है. छपवा मैं रहा हूं.. इसे कब मार्केट में लाया जाए ये क्या कांग्रेस पार्टी तय करेगी???

- Dr Manish Kumar, Editor, Chauthi Duniya

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