ज्येष्ठ कृष्ण १४ , कलियुग वर्ष ५११५
रामनाथी, गोवा : लोकभाषा
प्रचार समिति नामक संस्थाके प्रवक्ता डॉ. निरंजन साहूजीने मार्गदर्शन करते
हुए कहा कि भारतके प्रत्येक प्रांतकी भाषा पृथक है । इसलिए उनमें भिन्नता
है। वास्तवमें संस्कृत ही भारतकी एकमात्र भाषा है । यदि इस भाषाके माध्यमसे
हम सब एक हो जाएं, तो सर्व समस्याओंका निराकरण हो जाएगा । डॉ. साहू हिंदू
राष्ट्रकी स्थापनाके लिए संस्कृत भाषाकी रक्षा तथा प्रचार, इस विषयपर बोल
रहे थे ।
२. सर्व भूषण नष्ट हो जाएंगे; परंतु वाणीरूपमें संस्कृत भूषण कभी नष्ट नहीं होगा ।
३. जबतक गंगा, यमुना, हिमालय एवं भारतका अस्तित्व है, तबतक हिंदू संस्कृति सुरक्षित है ।
४. ऋषि-मुनियोंने संस्कृत भाषाका नामकरण किया है ।
५. रामायण कालमें सहजयोगसे संस्कृत भाषाका उपयोग किया जाता था ।
२. डॉ. साहूजीका भाषण सभी शांतिपूर्वक एवं रुचिसे सुन रहे थे ।
३. डॉ. साहूजीने भाषणके अंतमें भारतकी विविधताका वर्णन संस्कृत भाषामें पद्यमें किया । वहां उपस्थित अनेक लोग उसमें लीन हो गए थे ।
श्री.साहू बोले -
१. संस्कृत भाषा देवभाषा है । यह भाषा अत्यंत सरल है ।२. सर्व भूषण नष्ट हो जाएंगे; परंतु वाणीरूपमें संस्कृत भूषण कभी नष्ट नहीं होगा ।
३. जबतक गंगा, यमुना, हिमालय एवं भारतका अस्तित्व है, तबतक हिंदू संस्कृति सुरक्षित है ।
४. ऋषि-मुनियोंने संस्कृत भाषाका नामकरण किया है ।
५. रामायण कालमें सहजयोगसे संस्कृत भाषाका उपयोग किया जाता था ।
क्षणिकाएं -
१. डॉ. साहूजीने अपना भाषण संस्कृतमें प्रारंभ किया । उस समय उपस्थित सभी लोगोंने उत्साहपूर्वक तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया ।२. डॉ. साहूजीका भाषण सभी शांतिपूर्वक एवं रुचिसे सुन रहे थे ।
३. डॉ. साहूजीने भाषणके अंतमें भारतकी विविधताका वर्णन संस्कृत भाषामें पद्यमें किया । वहां उपस्थित अनेक लोग उसमें लीन हो गए थे ।
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