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Wednesday, 26 June 2013

सोनिया और बहुगुणा की मुस्कुराहट ने जख्मों पर छिड़का नमक

 नई दिल्ली, 26 जून 2013
 

बाढ़ और भूस्खलन के कारण भारी तबाही की मार झेल रहा है उत्तराखंड. चारों तरफ बर्बादी का मंजर है. आपदा के ऐसे वक्त पर राज्य के मुखिया विजय बहुगुणा पर हर किसी की नजर है.
 
विजय बहुगुणा एक तरफ तबाही की मार और दूसरी तरफ राज्य सरकार के लचर रवैये को लेकर जनता में जबरदस्त गुस्सा है. पर उनकी नाराजगी की वजह सिर्फ यही नहीं हैं. उत्तराखंड सरकार द्वारा इमेज मेकओवर के लिए जिस तरह से विज्ञापनों का सहारा लिया है  उसने पीड़ित परिवार के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है.

रेस्क्यू ऑपरेशन में जो लापरवाही देखने को मिल रही है, कुछ ऐसा ही हाल अखबार में छपे सरकारी विज्ञापनों का भी है. हाल इतना बुरा है कि बहुगुणा सरकार अपने काम का बखान भी ठीक से न कर सकी. विज्ञापनों में वर्तनी की भी गलतियां हैं. जिसे लोगों ने मूर्खतापूर्ण और असंवेदनशील करार दिया है.

राज्य सरकार का पहला विज्ञापन विभिन्न अखबारों में सोमवार को छपा. इसमें विज्ञापन में यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की मुस्कुराती हुई तस्वीर थी. हालांकि पीएम मनमोहन सिंह की फोटो हमेशा की तरह बिना इमोशन वाली थी. ऐसे वक्त में जब पूरे उत्तराखंड में शोकाकुल माहौल है, दोनों नेताओं की मुस्कुराती हुई तस्वीरें पीड़ा बढ़ाने का काम कर रही थीं.

जैसे विज्ञापन छपा, राज्य के सूचना और जनसंपर्क विभाग को अपनी गलती का एहसास हो गया. अगले दिन मंगलवार को अखबार में फिर से विज्ञापन छपा, पर इस बार सोनिया गांधी और विजय बहुगुणा के चेहरे से मुस्कुराहट गायब थी. लेकिन इस बार राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्या को एंट्री मिली थी, और इस बार उनके मुस्कुराते चेहरे ने कैंपेन का मजाक उड़ाने का काम किया.

इस एड कैंपेन में खामियां सिर्फ फोटो तक सीमित नहीं थी. इन एड में वर्तनी में चौंकाने वाली गलतियां थी. पहले दिन, Uttarakhand की जगह "Uttrakhand" छपा. वहीं, "relief measures" बन गया "relief measurers". हालांकि, मंगलवार को राज्य का नाम तो सही हो गया पर "relief measurers" अपनी जगह पर बना रहा.
आपको बता दें, इस विज्ञापन में राज्य सरकार अपने काम का जमकर बखान किया है.

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