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Saturday, 8 June 2013

अखिलेश सरकार में 27 दंगे, क्या है सच?

अवनीश पाठक/इंटरनेट डेस्‍क | अंतिम अपडेट 15 मार्च 2013 12:48 PM IST पर
27 riots in akhilesh yadav one year tenure
एक वर्ष पहले 39 साल के युवा अखिलेश यादव ने देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली तो बहुतों को भयमुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश की उम्मीद बंधी।

शपथग्रहण के चंद दिनों बाद ही सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस मारकंडेय काटजू ने मीडिया से ताकीद की, ‘अखिलेश युवा हैं, विदेश में पढ़े हैं, दो साल तक उनकी आलोचना न करिए। उन्हें काम करने का मौका दीजिए।’

दो सालों में से एक साल बीत गया, इस बीच अखिलेश की कैबिनेट के दामन पर भ्रष्टाचार के दाग तो नहीं दिखे लेकिन भयमुक्त शासन का वादा छलावा साबित हुआ।

एक साल में 27 दंगे


अखिलेश के कमान संभालने के बाद प्रदेश में लगभग 27 दंगे हुए। मुख्यमंत्री ने तीन मार्च को विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि प्रदेश में 15 मार्च, 2012 से 31 दिसंबर, 2012 के बीच लगभग 27 दंगे हुए।

इनमें मथुरा के पास कोसीकलां, बरेली, और फैजाबाद के दंगे काफी बडे़ थे, इनमे जान माल का ज्यादा नुकसान हुआ। सात दंगे ऐसे रहे जिनमें नुकसान थोड़ा कम हुआ। इनमें प्रतापगढ़ में दो, गाजियाबाद, बरेली, संभल, बिजनौर और इलाहाबाद में एक-एक दंगे हुए।

इनके अलावा मेरठ में तीन, गाजियाबाद में दो, मुजफ्फनगर में तीन, कुशीनगर में दो, लखनऊ, बिजनौर, सीतापुर, बहराइच, संत रविदास नगर, मुरादाबाद और संभल में एक-एक दंगे हुए।

क्यों हो रहे हैं दंगे

उत्तर प्रदेश में हो रहे ये दंगे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास हैं या लॉ एंड ऑर्डर की असफलता? इस बाबत अलग-अलग राय है।

पीपुल्स यूनीयन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के स‌चिव चितरंजन सिंह के मुताबिक, सरकार की तुष्टिकरण की नीति के कारण उत्तर प्रदेश में दंगे हो रहे हैं।

वे कहते हैं, ‘सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है। प्रदेश में दंगे भड़कते हैं और सरकार उन्हें दबाने के बजाय मूकदर्शक बनी रहती है। सरकार को दंगों से निपटना है तो शुरुआत में ही उनसे कड़ाई से निपटना होगा।’

इन दंगों के पीछे समाजवादी पार्टी की वोट बैंक की राजनीति को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। रिहाई मंच के राजीव यादव के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में हो रहे दंगों के जरिए सपा लोकसभा चुनावों में अल्पसंख्यकों के वोट बटोरना चाहती है। उसकी कोशिश अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना की पैदा कर उनका सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना है।

रिहाई मंच के ही मोहम्म्मद शोएब ने कहा, ‘सरकार पहले दंगा होने दे रही है, फिर पीडि़तों को मुआवजा दे रही है। वे उन्हें डराना भी चाह रही ओर खुश भी रखना चाह रही है। ये अल्पसंख्यकों का वोट बटोरने का तरीका है।’

प्रदेश में कानून व्यवस्था

दंगो के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लगता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक है। उनके मुताबिक प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने के लिए मीडिया इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है।

हाल ही में लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘प्रदेश की कानून-व्यवस्था ठीक है लेकिन मीडिया इसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती है।’

मुख्यमंत्री के मुताबिक तस्वीर उतनी खराब नहीं है, जितनी पेश की जाती है। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि इस ओर काफी काम करने की जरूरत है। 
 
http://www.amarujala.com/news/states/uttar-pradesh/27-riots-in-akhilesh-yadav-one-year-tenure/

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