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Monday, 20 May 2013

वाशिंगटन. बेरोजगारों से जूझ रहे अमेरि‍का की मुसीबत कम नहीं होने वाली। एक तरफ हथि‍यारों और युद्ध का बेतहाशा खर्च उसकी स्‍थि‍ति को लगातार डांवाडोल कि‍ए हुए है, वहीं एक रि‍पोर्ट में दावा कि‍या गया है कि 13 से 20 फीसदी अमेरि‍की बच्‍चे कई तरह के दि‍मागी समस्‍या से ग्रस्‍त हैं। इसका नतीजा भी सामने आ रहा है और आए दि‍न अमेरि‍का के कि‍सी न कि‍सी स्‍कूल में फायरिंग हो रही है।  (देखें- अमेरिकियों की बदतमीजी की 25 तस्‍वीरें)
 
हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि अमेरि‍का में 80 लाख से भी ज्‍यादा बच्‍चे तरह तरह की दि‍मागी बीमारि‍यों से ग्रस्‍त हैं। अमेरि‍का के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) द्वारा जारी इस रि‍पोर्ट में बताया गया है कि फि‍लवक्‍त जो बच्‍चे दि‍मागी बीमारि‍यों से गुजर रहे हैं, उनमें से आधे से भी कम बच्‍चों को सही इलाज मि‍ल पा रहा है। सीडीसी ने मेंटल डि‍सऑर्डर्स को लेकर 2005 से लेकर 2011 तक कई सारे शोध कि‍ए।
 
शोध के मुताबि‍क अमेरि‍का में हर साल 247 बि‍लि‍यन डॉलर बच्‍चों के मानसि‍क स्‍वास्‍थ्‍य पर खर्च करता है। शोध बताता है कि इतना धन खर्च होने के बावजूद सरकारी तंत्र बच्‍चों की मदद करने में फेल साबि‍त हुआ है। इसके मुताबि‍क 42 लाख बच्‍चे हाइपर एक्‍टि‍वि‍टी डि‍सऑर्डर से ग्रस्‍त हैं। 22 लाख बच्‍चे व्‍यवहार और कंडक्‍ट प्रॉब्‍लम और 18 लाख बच्‍चे एंग्‍जॉयटी से ग्रस्‍त हैं। 13 लाख बच्‍चे डि‍प्रेशन से गुजर रहे हैं। 
 
शोध यह भी बताता है कि अमेरि‍का में रहने वाले लाखों कि‍शोर मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। 12 लाख कि‍शोर नशे की दवाइयों के साइड इफेक्‍ट से उपजे डि‍सऑर्डर से ग्रस्‍त हैं। 10 लाख कि‍शोर शराब से उपजे डि‍सऑर्डर से परेशान हैं तो तकरीबन सात लाख कि‍शोरों ने सि‍गरेट पीकर अपने दि‍माग का सत्‍यानाश कर लि‍या है। तकरीबन एक लाख कि‍शोर ऐसे हैं जि‍न्‍हें टॉरेट सिंड्रोम है तो पौने सात लाख कि‍शोर ऑटि‍ज्‍म स्‍पेक्‍ट्रेम डि‍सऑर्डर से गुजर रहे हैं।
 
रि‍सर्च करने वाली टीम ने यह भी पाया कि बच्‍चों और कि‍शोरों में दि‍मागी परेशानि‍यां पि‍छले दो दशक से बढ़ी हैं। इन परेशानि‍यों में बायपोलर डि‍सऑर्डर, ऑटि‍ज्‍म स्‍पेक्‍ट्रम डि‍सऑर्डर ज्‍यादा है। कि‍शोरों में समस्‍याएं नशाखोरी करने की वजह से बढ़ी हैं। लड़कों में व्‍यवहार संबंधी परेशानि‍यां, ऑटि‍ज्‍म स्‍पेक्‍ट्रम डि‍सऑर्डर ज्‍यादा पाया गया तो लड़कि‍यों में शराब पीने के बाद हुई गाली गलौज से उपजा डि‍प्रेशन ज्‍यादा पाया गया।

सेना के लिए खतरा बना सेक्‍स, बिन शादी के ही लड़कियों को मां बना रहे अमेरिकी
बढ़ रहा बिना शादी के ही बच्‍चे पैदा करने का चलन
 
बेरोजगारी और आय में कमी के कारण अधिकतर अमे‍रीकियों के लिए शादी करना और घर खरीदना बेहद खर्चीला काम हो गया है। घर खरीदने की दर पिछले 8 साल के निम्‍न स्‍तर पर आ गई है जबकि बिना शादी के बच्‍चा पैदा करने का प्रतिशत साल 2005 के 31 फीसदी से बढ्कर 2011 में 36 फीसदी हो गई। इस सप्‍ताह जारी जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक शादी नहीं करने वाले माता-पिता के बच्‍चों के गरीबी में जीवन बिताने की संभावना अधिक रहती है और ऐसे में उनका विकास भी ठीक तरीके से नहीं होता। साल 2010 में गरीबी झेल रहे बच्‍चों से जुड़े 42.3 फीसदी परिवारों की मुखिया सिंगल महिला थी। कुल मिलाकर 16.1 फीसदी की अनुमानित वर्तमान गरीबी दर 1965 के बाद से सबसे अधिक है। सेंसस ब्‍यूरो के मुताबिक इस तरह अमेरिका में 4.97 करोड़ लोग गरीबी में जीवन जी रहे हैं। 48 फीसदी आबादी गरीब हैं या गरीबी की हालत में पहुंचने वाली है। इसका मतलब यह है कि ये आंकड़े आधिकारिक गरीबी दर से दोगुना है।

सेना के लिए खतरा बना सेक्‍स, बिन शादी के ही लड़कियों को मां बना रहे अमेरिकी
सेना में सेक्‍स क्राइम की आई बाढ़ 
 
एक तरफ अमेरि‍का बच्‍चों के दि‍मागी डि‍सऑर्डर और बेरोजगारी से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ वहां की सेना में सेक्‍स क्राइम की बाढ़ जैसी आ गई है। हालात यह हैं कि वहां के जनरल मार्टिन डेम्‍प्‍से ने पि‍छले हफ्ते यहां तक कह दि‍या कि सेना में महि‍लाएं अपना आत्‍मवि‍श्‍वास खो रही हैं। एक नए सर्वे के मुताबि‍क 2010 में अमेरि‍की सेना में सेक्‍स क्राइम की संख्‍या जहां 19000 प्रति वर्ष थी, वह अब बढ़कर 26000 मामले प्रति वर्ष हो गई है। 

सेना के लिए खतरा बना सेक्‍स, बिन शादी के ही लड़कियों को मां बना रहे अमेरिकी
अमेरिका में खुदकुशी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। एक शोध में पाया गया कि 12 से 17 वर्ष तक के कि‍शोरों में कि‍शोरि‍यों की अपेक्षा आत्‍महत्‍या करने की टेंडेंसी ज्‍यादा होती है। अमेरि‍का में 12 से 17 साल के कि‍शोरों की मौत का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है। सीडीसी के मुताबि‍क अमेरि‍का में जि‍तनी मौतें कार एक्‍सीडेंट में होती हैं, उससे कहीं ज्‍यादा मौतों के लि‍ए आत्‍महत्‍या जि‍म्‍मेदार है। वर्ष 1999 से लेकर 2010 तक आत्‍महत्‍या के मामलों का वि‍श्‍लेषण करने पर पाया गया कि 35 से 64 वर्ष के आयुवर्ग में आत्‍महत्‍या की प्रवृत्‍ति 30 फीसदी तक बढ़ चुकी है। 
 
बताया जाता है कि आर्थिक सुरक्षा और बढ़ती बेरोजगारी के चलते यह प्रवृत्‍ति बढ़ी है। बैंकों में जमा लोगों की बचत या तो खत्‍म हो चुकी है या फि‍र खत्‍म होने की कगार पर है। फेडरल रि‍जर्व के आंकड़े बताते हैं कि अमेरि‍का में 65 से 74 साल के लोगों पर इस समय सबसे ज्‍यादा उधार का बोझ है। इम्‍प्‍लाई बेनिफिट रिसर्च के मुताबिक परिवार के सदस्‍यों ने  साल 2010 में उधार चुकाने पर अपनी आय का 7.1 फीसदी हिस्‍सा खर्च किया जबकि तीन साल पहले वे कर्ज चुकाने पर अपनी आय का 4.5 फीसदी हिस्‍सा खर्च करते थे।
 
सेना के लिए खतरा बना सेक्‍स, बिन शादी के ही लड़कियों को मां बना रहे अमेरिकी
दिमागी समस्‍याओं से निपटते हुए जो बच्‍चे युवा हो रहे हैं, उनके सामने रोजगार की समस्‍या खड़ी हो जाती है। अमेरि‍का में बेरोजगारों की बड़ी फौज इकठ्ठा हो गई है। पि‍छले महीने पब्‍लि‍क पॉलि‍सी ऑर्गेनाइजेशन की एक रि‍पोर्ट में बताया गया है कि अमेरि‍का में 34 वर्ष तक के जि‍तने युवा हैं, उनमें से आधे बेरोजगार हैं। इस बात की कोई आशा भी नहीं नजर आ रही है कि आने वाले दि‍नों में इन्‍हें नौकरी मि‍ल जाएगी और ये लोग खुशहाल होंगे। ऑर्गनाइजेशन ने यह भी पाया कि इससे पहले अमेरि‍का में पैदा हुए बच्‍चे नौकरी करने लायक हो जाएं, अमेरि‍की अर्थव्‍यवस्‍था को 40 लाख नौकरि‍यां सृजि‍त करनी पड़ेंगी। अमेरिका 2011 में ही दुनि‍या के उन देशों में शामि‍ल हो गया है, जि‍नके यहां सबसे ज्‍यादा बेरोजगारी है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स के वाशिंगटन के ब्‍यूरो चीफ डेवि‍ड लि‍योनार्ड के मुताबि‍क मंदी के वक्‍त बड़ी संख्‍या में युवाओं को नौकरी से नि‍काला गया।

सेना के लिए खतरा बना सेक्‍स, बिन शादी के ही लड़कियों को मां बना रहे अमेरिकी
देश में गरीबी बेरोजगारी तक सीमित नहीं है। पिछले माह आई अमेरि‍की सेंसस ब्‍यूरो की रिपोर्ट के मुता‍बिक देश में गरीब लोगों का प्रतिशत नाटकीय तरीके से साल 2006 के 5.1 फीसदी से बढ़कर 2011 में 7 फीसदी हो गई। बीती तीमाही में देश में करीब 1.04 करोड् लोग गरीबी में जीवन बसर कर रहे थे। दरअसल, समस्‍या यह है कि अधिकतर नई नौकरियों के अवसर उन सेक्‍टर में है जहां सैलरी कम है। यहां तक कि विनिर्माण सेक्‍टर में काम करने वाले कर्मी प्रति घंटे करीब 10 डॉलर की कमाई कर रहे हैं। गरीबी में जीवन जी रहे एक चार सदस्‍यीय परिवार को भी इतनी ही राशि मिलती है। गरीबी का असर व्‍यापक है। एक ताजा अध्‍ययन के मुताबिक साल 2012 में अमेरीका में करीब 8 करोड् व्‍यस्‍कों को इसलिए मेडिकल सुविधा नहीं मिली क्‍योंकि वे इसके लिए भुगतान नहीं कर सकते थे। व्‍यस्‍कों की यह संख्‍या अमेरीकी आबादी का 43 फीसदी है। यह संख्‍या 2003 में 17 फीसदी थी। 

शिक्षा का भी हाल बुरा 
 
बच्‍चों की स्थिति भी बहुत अच्‍छी नहीं है। अमेरीका में करीब 1.6 करोड् बच्‍चे उन परिवारों के हैं जिनकी आय सरकार द्वारा तय गरीबी की रेखा से नीचे है। बच्‍चों की यह संख्‍या उनकी कुल आबादी का 22 फीसदी है। पिछले माह संयुक्‍त राष्‍ट्र बाल कोष ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिससे पता चलता है कि गरबी में रहने वाले बच्‍चों के प्रतिशत के मामले में अमे‍रीका 29 विकसित देशों में 26 पायदान पर है। वह ग्रीस से पीछे है और लिथुनिया, लात्विआ और रोमानिया से आगे है। हर साल अमेरिका में 13 लाख बच्‍चे स्‍कूल छोड् देते हैं। नेशनल सेंटर फॉर एजुकेशन स्‍टैटिस्टिक्‍स के मुता‍बिक उच्‍च आय वाले परिवारों के युवाओं की तुलना में निम्‍न आय वाले परिवार के छह गुना कम युवा ग्रेजुएट कर पाते हैं। ऐसे स्‍टूडेंटस जो कॉलेज में दाखिल लेते हैं उनपर लोन का बोझ इतना बढ् जाता है कि वे उसे उतार नहीं पाते। साल 2003 से 2012 के बीच कर्ज के बोझ तले दबे 25 वर्षीय स्‍टूडेंटस की संख्‍या 25 फीसदी से बढ्कर 43 फीसदी हो गई।
 
Source: http://www.bhaskar.com/article/INT-bleak-picture-of-american-kids-with-mental-disorders-4268237-PHO.html?seq=1&HT=

 

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