वाशिंगटन. बेरोजगारों से जूझ रहे अमेरिका की मुसीबत कम नहीं होने
वाली। एक तरफ हथियारों और युद्ध का बेतहाशा खर्च उसकी स्थिति को लगातार
डांवाडोल किए हुए है, वहीं एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 13 से 20 फीसदी अमेरिकी बच्चे कई तरह के दिमागी समस्या से ग्रस्त हैं। इसका नतीजा भी सामने आ रहा है और आए दिन अमेरिका के किसी न किसी स्कूल में फायरिंग हो रही है। (देखें- अमेरिकियों की बदतमीजी की 25 तस्वीरें)
हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि अमेरिका में 80 लाख से भी
ज्यादा बच्चे तरह तरह की दिमागी बीमारियों से ग्रस्त हैं। अमेरिका के
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया
है कि फिलवक्त जो बच्चे दिमागी बीमारियों से गुजर रहे हैं, उनमें से
आधे से भी कम बच्चों को सही इलाज मिल पा रहा है। सीडीसी ने मेंटल डिसऑर्डर्स को लेकर 2005 से लेकर 2011 तक कई सारे शोध किए।
शोध के मुताबिक अमेरिका में हर साल 247 बिलियन डॉलर बच्चों के
मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करता है। शोध बताता है कि इतना धन खर्च होने
के बावजूद सरकारी तंत्र बच्चों की मदद करने में फेल साबित हुआ है। इसके
मुताबिक 42 लाख बच्चे हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं। 22
लाख बच्चे व्यवहार और कंडक्ट प्रॉब्लम और 18 लाख बच्चे एंग्जॉयटी से
ग्रस्त हैं। 13 लाख बच्चे डिप्रेशन से गुजर रहे हैं।
शोध यह भी बताता है कि अमेरिका में रहने वाले लाखों किशोर मादक
पदार्थों का सेवन करते हैं। 12 लाख किशोर नशे की दवाइयों के साइड इफेक्ट
से उपजे डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं। 10 लाख किशोर शराब से उपजे डिसऑर्डर
से परेशान हैं तो तकरीबन सात लाख किशोरों ने सिगरेट पीकर अपने दिमाग का
सत्यानाश कर लिया है। तकरीबन एक लाख किशोर ऐसे हैं जिन्हें टॉरेट
सिंड्रोम है तो पौने सात लाख किशोर ऑटिज्म स्पेक्ट्रेम डिसऑर्डर से
गुजर रहे हैं।
बढ़ रहा बिना शादी के ही बच्चे पैदा करने का चलन
सेना में सेक्स क्राइम की आई बाढ़
एक तरफ अमेरिका बच्चों के दिमागी डिसऑर्डर और बेरोजगारी से जूझ
रहा है तो दूसरी तरफ वहां की सेना में सेक्स क्राइम की बाढ़ जैसी आ गई है।
हालात यह हैं कि वहां के जनरल मार्टिन डेम्प्से ने पिछले हफ्ते यहां तक
कह दिया कि सेना में महिलाएं अपना आत्मविश्वास खो रही हैं। एक नए
सर्वे के मुताबिक 2010 में अमेरिकी सेना में सेक्स क्राइम की संख्या
जहां 19000 प्रति वर्ष थी, वह अब बढ़कर 26000 मामले प्रति वर्ष हो गई है।
अमेरिका में खुदकुशी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। एक शोध में
पाया गया कि 12 से 17 वर्ष तक के किशोरों में किशोरियों की अपेक्षा
आत्महत्या करने की टेंडेंसी ज्यादा होती है। अमेरिका में 12 से 17 साल
के किशोरों की मौत का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है। सीडीसी के मुताबिक
अमेरिका में जितनी मौतें कार एक्सीडेंट में होती हैं, उससे कहीं ज्यादा
मौतों के लिए आत्महत्या जिम्मेदार है। वर्ष 1999 से लेकर 2010 तक
आत्महत्या के मामलों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि 35 से 64 वर्ष के
आयुवर्ग में आत्महत्या की प्रवृत्ति 30 फीसदी तक बढ़ चुकी है।
शिक्षा का भी हाल बुरा
बच्चों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। अमेरीका में करीब 1.6
करोड् बच्चे उन परिवारों के हैं जिनकी आय सरकार द्वारा तय गरीबी की रेखा
से नीचे है। बच्चों की यह संख्या उनकी कुल आबादी का 22 फीसदी है। पिछले
माह संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिससे पता चलता है
कि गरबी में रहने वाले बच्चों के प्रतिशत के मामले में अमेरीका 29
विकसित देशों में 26 पायदान पर है। वह ग्रीस से पीछे है और लिथुनिया,
लात्विआ और रोमानिया से आगे है। हर साल अमेरिका में 13 लाख बच्चे स्कूल
छोड् देते हैं। नेशनल सेंटर फॉर एजुकेशन स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक उच्च
आय वाले परिवारों के युवाओं की तुलना में निम्न आय वाले परिवार के छह
गुना कम युवा ग्रेजुएट कर पाते हैं। ऐसे स्टूडेंटस जो कॉलेज में दाखिल
लेते हैं उनपर लोन का बोझ इतना बढ् जाता है कि वे उसे उतार नहीं पाते। साल
2003 से 2012 के बीच कर्ज के बोझ तले दबे 25 वर्षीय स्टूडेंटस की संख्या
25 फीसदी से बढ्कर 43 फीसदी हो गई।
Source: http://www.bhaskar.com/article/INT-bleak-picture-of-american-kids-with-mental-disorders-4268237-PHO.html?seq=1&HT=
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