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Wednesday, 19 February 2014

AAP को भी दागदार परवीन अमानुल्लाह से परहेज नहीं


परवीन अमानुल्लाह
parveen-amanullah
 परवीन अमानुल्लाह
 
शिवेंद्र कुमार सुमन, नई दिल्ली
राजनीति में शुचिता और ईमानदारी की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल की पार्टी में हाल ही शामिल हुईं बिहार की पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह के दामन पर कई दाग लगे हैं। जिस 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कोल ब्लॉक आवंटन में शामिल हर शख्स को केजरीवाल खुलेआम करप्ट या फिर चोर कहते हैं, ठीक उसी पैटर्न पर बिहार के 2जी घोटाले के नाम से मशहूर BIADA जमीन आवंटन मामले में परवीन अमानुल्लाह आरोपों के घेरे में रही हैं।

जिस वक्त परवीन मंत्री थीं, उस वक्त उनकी बेटी को करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव में अलॉट की गई थी। सिर्फ इतना ही नहीं, परवीन पर बदमिजाजी और खुलेआम रिश्वत मांगने के मुकदमे भी दर्ज हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि मामले का खुलासा होने पर हमने अक्सर लोगों को सवालों के घेरे में खड़ा करते रहने वाले आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने की बात करते हुए फोन काट दिया। अब सवाल उठने लगा है कि क्या दूसरी पार्टियों के दागदार नेता आप में शामिल होते ही पाक साफ हो जाते हैं। ध्यान रहे कि इस मामले एक पीआईएल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। यह पीआईएल नीतीश के पूर्व करीबी पी.के. सिन्हा ने दाखिल की है।

करीब 3 साल पहले बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी (BIADA) ने करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव नेताओं के रिश्तेदारों को अलॉट कर दी थी। इसको लेकर बिहार की राजनीति में जबरदस्त बवाल मचा था। कुछ लोगों ने इसे बिहार का 2जी घोटाला करार दिया था। मंत्री परवीन अमानुल्लाह की बेटी रहमत फातिमा अमानुल्लाह को भी 87,120 वर्ग फुट जमीन दी गई थी। करोड़ों की यह जमीन कौड़ियों के भाव पर दी गई थी। हालांकि, इसमें जिन लोगों को जमीन दी गई थी उनमें बड़ी संख्या में उस वक्त की नीतीश सरकार में शामिल नेताओं के नजदीकी रिश्तेदार शामिल थे। इसमें जेडीयू के साथ-साथ बीजेपी के भी कई नेता शामिल थे।
 
इस घोटाले के खुलासे के बाद विपक्षी पार्टियों ने इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी, लेकिन नीतीश सरकार ने उनकी मांग खारिज कर दी। उन्होंने चीफ सेक्रेटरी अनुप मुखर्जी को जांच का जिम्मा सौंप दिया। जैसा कि सभी विभागीय जांचों का हश्र होता है, इसका भी वैसा ही हश्र हुआ और सभी आरोपियों को क्लीन चिट मिल गई।

गौरतलब है कि बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी का गठन प्रदेश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, लेकिन अधिकांश जमीन उद्योगपतियों की जगह रसूखदार लोगों के बच्चों को अलॉट कर दी गई। ठीक इसी तरह 2जी घोटाला और कोयला घोटाला हुआ था। इन घोटालों के खिलाफ केजरीवाल आग उगलते हैं, लेकिन बिहार में हुई जमीनों की बंदरबांट के मामले में आरोपी की मां को अपनी पार्टी में शामिल किया। ऐसे में केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर सवाल उठना लाजिमी है।

गौरतलब है कि ऐसा मामला यूपी में सामने आया था, जहां पर नीरा यादव ने अपनी बेटियों को जमीन अलॉट कराई थी। उस घोटाले की सीबीआई जांच हुई थी, जिसमें नीरा को दोषी पाया गया था। उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था।

मामला सुप्रीम कोर्ट में
इस मामले में कभी नीतीश के करीबी रहे पूर्व एमएलसी पी.के. सिन्हा ने एक पीआईएल दाखिल की है। इस पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि फरवरी-मार्च में इस पर फैसला आ आ सकता है। अपनी पीआईएल में उन्होंने 2 लोगों के खिलाफ सीधे मुकदमा चलाने की मांग की है। जमीन आवंटन के वक्त ये दोनों नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री थे। इनमें से एक हैं परवीन अमानुल्लाह और दूसरे हैं पी.के. शाही। पी.के. शाही अब भी नीतीश सरकार में मंत्री हैं।

सिन्हा के मुताबिक, दोनों मंत्रियों की बेटियां लाभार्थी रही हैं। उनके मुताबिक, 24 मई 2011 को पिटिशन पड़ा और उसी दिन सैंक्शन हो गया। सिन्हा का दावा है कि इन दोनों ने मंत्री पद का दुरुपयोग किया है।

सिन्हा के मुताबिक, इन्हें एक एकड़ जमीन के लिए 13.31 लाख रुपये में मिले, जबकि जमीन की मार्केट वैल्यू करोड़ों में है। सबसे मजेदार बात दोनों मंत्रियों की बेटियों का इंडस्ट्री चलाने का कोई खास अनुभव नहीं रहा है।

सीडीपीओ ने लगाए हैं रिश्वतखोरी के आरोप
हाजीपुर के विदुपुर ब्लॉंक की सीडीपीओ कविता कुमारी ने परवीन अमानुल्लाह और उनके सहयोगियों पर मारपीट करने और 10 लाख रुपये रिश्वत मांगने का मुकदमा दर्ज कराया है। सूत्रों की मानें तो शुरू में परवीन ने पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। पुलिस केस दर्ज करने में आनाकानी करती रही, लेकिन जब यह मामला मीडिया में जोर पकड़ने लगा तो इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई।

नाम न बताने की शर्त पर परवीन के एक नजदीकी ने बताया कि उनके काम करने का तरीका यही था। वह औचक निरीक्षण करने पहुंचतीं और सीडीपीओ को निलंबित कर देती थीं। इसके बाद लाखों रुपये लेकर ही उनका निलंबन रद्द करती थीं। वसूली के लिए उन्होंने खास लोग रखे थे।

जब इन मुद्दों पर परवीन अनामुल्लाह से बात की गई तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। परवीन ने कहा कि जब मैंने कविता के खिलाफ कार्रवाई की तो उन्होंने मुझ पर झूठे इल्जाम लगाए। परवीन का कहना है कि मैं जब मंत्री बनी थी तो आंगनबाड़ी के सिर्फ 5 पर्सेंट सेंटर चलते थे, जबकि अब 99 फीसदी सेंटर सुचारु ढंग से चलते हैं।  
 
Source: http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/aap-no-objection-with-tainted-leader-parveen-amanullah/moviearticleshow/30033142.cms

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