कांग्रेस
पार्टी सबसे पहली पार्टी थी जिसने बूथ लूटने की प्रथा की शुरुआत की. बिहार
के बेगुसराय में पहली बार ऐसी घटना सामने आई. कांग्रेस को चुनाव जीतने का
नया फार्मूला मिल गया. चुनाव के समय गुंड़ों को भाड़े पर लिया जाने लगा.
हिंसा और बूथ लूट कर चुनाव जीतने का प्रचलन शुरु हो गया. अस्सी के आखिरी
दशक तक इन गुंड़ों को समझ में आ गया कि जब बूथ लूट कर ही चुनाव जीते जा
सकते हैं तो वो दूसरों के बजाय खुद के लिए क्यों ने लूटें.. तो इस तरह
कांग्रेस की वजह से देश की राजनीति का अपराधीकरण हो गया. गुंडे बदमाश
लूटेरे जनप्रतिनिधि बनने लग गए. कई क्षेत्रीय पार्टियों ने इस फार्मूला को
अपनाया और नब्बे के दशक में को कमजोर हो गई..
कांग्रेस ने फिर एक
नई नीति बनाई. उन्होंनें देश में भर में एनजीओ या गैर-सरकारी संस्थानों को
बनाना शुरु किया. इन्हें सरकार और विदेशों से पैसे मिलते रहे. सरकार की
तरफ से इन्हें समाज में काम करने की छूट दी गई. कई सरकारी योजनाओं को इनके
हवाले कर दिया गया. देश के कई इलाकों में एनजीओ ने जनआंदोलनों का रूप ले
लिया. धीरे धीरे एनजीओ ने समाज में अपनी पैठ बना ली और सरकार ने इन्हें
ईमान और पुरस्कार देकर इनकी विश्वसनीयता को मजबूत किया. वैसे तो ये राजनीति
से दूर रहते थे लेकिन चुनाव के समय ये लोग कांग्रेस पार्टी और उनके
साथियों के लिए प्रचार-प्रसार का काम करते रहे.. कांग्रेस के लिए चुनाव
जीतना आसान हो गया यही वजह है कि पूरे देश में कांग्रेस खिलाफ महौल होने के
बावजूद कांग्रेस चुनाव जीतती रही. यही वजह है कि सोनिया गांधी के नेशलन
एडवाइजरी कमीशन के सभी सदस्य एनजीओ चलाने वाले लोग हैं.
अब देश
के एनजीओ के यह समझ में आ गया है कि अगर उनकी मेहनत से कांग्रेस चुनाव जीत
जाती है तो वो खुद के लिए मेहनत क्यों करें. और स्वयं ही लोकसभा और
विधानसभाओं में क्यों न जाएं... आम आदमी पार्टी का इतिहास भी एनजीओ का है..
धीरे धीरे देश के सारे एनजीओ वाले इस पार्टी शामिल होगें... इसी तरह देश
की राजनीति का एनजीओकरण हो जाएगा..
कांग्रेस पार्टी की यह
त्रासदी है कि यह भस्मासुर पैदा करती है.. पहले अपराधीकरण का खामियाजा
कांग्रेस को उठाना पड़ा और अब राजनीति के एनजीओकऱण का नुकसान उठाने वाली
है.. यह मान लेना चाहिए कि अगले दस सालों तक कांग्रेस पार्टी का ग्राफ
धरातल की ओर अग्रसर रहेगा...
- Dr. Manish Kumar, Editor, Chauthi Duniya
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