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Friday 7 June 2013

भारतवर्ष की महारानी लेखक : फ्रांकोइस गुतिअर अनुवादक: रवि शंकर

सोनिया गाँधी की ही तरह मैं भी यूरोप से हूँ और उन्ही की तरह एक केथोलिक परिवार मैं मेरा जन्म और पालन-पोषण हुआ है | मेरे भलेमानस पिता बहुत ही मजबूत आस्था वाले केथोलिक ईसाई थे और मेरे चाचा जी जिनका मेरे ऊपर घनिष्ठ प्रेम और मेरे व्यक्तित्व पर बहुत प्रभाव रहा पेरिस (फ़्रांस) के मोंटमारट्रे चर्च जो पेरिस के सबसे सुन्दर और एतिहासिक स्थलों मैं से एक है के वाइसर (प्रबंधक) थे| सोनिया गाँधी की ही तरह मुझे भी भारत मैं ४० वर्ष से ज्यादा रहने और एक भारतीय से विवाह करने का सोभाग्य मिला है |

पर मेरा और सोनिया गाँधी की समानता यंही खत्म होजाती है | मैं ये स्वीकार करूँगा के जब मैं सबसे पहले भारत आया था तो अधिकाँश पश्चिमी पर्यटकों और यात्रियों की तरह एक सीमा तक भारत के प्रति कुछ पूर्वाग्रहों, मान्यताओं और भ्रांतियों से ग्रसित था | और अन्य पश्चिमी यात्रियों की तरह मेरी जानकारी भी कुछ किताबो और प्रचिलित मान्यताओं (जैसे टिनटिन, रुडयार्ड किपलिंग की जंगलबुक, सिटी ऑफ जोय [कलकत्ता पर लिखी प्रसिद्द किताब], और आजकल स्लमडोग मिलियनेयर फिल्म) पर आधारित थी और चूँकि मैं ईसाई पुजारियों/मिशनरियों के परिवार से आता हूँ मैं अपने युवावस्था के उत्साह मैं ईसाई मिसनरी बनने और भारतीय ‘पगानो’ (मूर्तिपूजकों / नास्तिकों) को ‘सच्चे इश्वर’ (इसा मसीह) के रास्ते पर लेजाने का सपना भी रखता था| पर जब मैं भारत भूमि पर पैर रखे तभी मुझे महसूस हुआ के मेरे पास भारत को देने को कुछ नहीं है पर ये भारतभूमि और इसकी संस्कृति है जो मुझ पर अपनी कृपा की बोछार कर रही है |


पिछले ४० वर्षों मैं भारतभूमि ने भावनात्मक, आध्यात्मिक और व्यावसायिक तौरपर मुझे बहुत कुछ प्रदान किया है | हालाँकि अधिकांश पश्चिमी जो भारत आते हैं अभी भी यही सोचते हैं के वो भारत का ‘उद्धार’ करने, इसे कुछ देने आये हैं जो अवश्य ही अनजाने मैं अपने ‘अवचेतन’ मन मैं मानते है के भारत उनकी मात्रभूमि से हीन है कमतर है और ये तथ्य जितना ब्रिटिश राज्य या मदर टेरेसा के लिए सत्य है उतना ही श्रीमती सोनिया गाँधी के लिए भी |


इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता के श्रीमती सोनिया गाँधी ने कांग्रेस पार्टी मैं अनुशाशन व्यवस्था स्थापित की है और पार्टी को जोड़े रखा है पर एक गेर-भारतीय और लोकसभा के ५४५ सांसदों मैं से एक के हाथों मैं सत्ता के सूत्र और इतनी शक्ति का होना एक भयावह स्थिति है हालात ये हैं के सोनिया के एक शब्द बोलने या नजर टेड़े करने पर कांग्रेसी कुनबा और भारत सरकार मैं उनके अनुयायी कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं इसका परिणाम ये हुआ है के भारतीय लोकतंत्र मैं कार्यपालिका कभी भी इतना विकृत और पथभ्रष्ट नहीं हुई जितना वर्तमान समय मैं हो गयी है |


इसी सत्ता के केंद्र के सोनिया गाँधी मैं निहित होने का परिणाम है के सीबीआई खुलेआम और बेशर्मी के साथ राजीव गाँधी के दोस्त इटालियन नागरिक ओक्ट्वियो कव्त्रोच्ची के खिलाफ सारे अदालती निषेध आदेश रद्द करवा देती है आरोप वापस लेती है और उसे उन अरबों रूपये ले के भाग जाने देती है जो उसने भारत से चुराए थे इतना सब होने के बाद भी भारतीय मीडिया अपनी पलक भी नहीं झपकता और इस सब से आंख मीच के नरेन्द्र मोदी के पीछे निर्ममता पूर्वक पड़ा है जो भारत की सबसे सक्षम, भ्रस्टाचार मुक्त राज्य सरकार गुजरात मैं चला रहे हैं जंहा २४ घंटे बिजली और पानी की अबाध सप्लाई है जबकि आधा भारत अभी भी अंधकार मैं जीता है और कई राज्यों मैं सूखे जैसी स्थिति है | मीडिया इस तथ्य से भी आँख मीचे रहता है के कांग्रेस पार्टी सोनिया गाँधी की कभी प्रत्यक्ष और कभी परोक्ष सहमति से गेर कांग्रेसी राज्य सरकारों को गिराने के लिए करोडों रूपये लगा विधानसभा सदस्यों की खरीद-फरोख्त करने मैं लगी रहती है और कांग्रेसी राज्यपाल राज्यों मैं बेशर्मी से कानूनों को तोड़ मरोड़ के लोकतंत्र को बंधक बनाये हुए हैं |


क्या भारतियों को इस बात का अनुमान भी है के उनका राष्ट्र लोकतान्त्रिक देश से अर्ध-तानाशाही मैं बदल गया है जंहा देश का हर महत्वपूर्ण निर्णय एक महिला द्वारा लिया जाता है जो सुरक्षा कर्मियों और कुनबे के घिरी १० जनपथ की अपनी कोठी मैं भारतवर्ष की महारानी की तरह रहती हैं??


क्या भारतियों को मालूम है के सोनिया गाँधी आयकर दाताओं के दसियों अरब रुपयों पर अपना नियंत्रण रखती हैं जिसका प्रयोग वह अपनी पार्टी को सत्ता मैं बनाये रखने के लिए करती हैं? क्या वो जानते हैं देश मैं हुए बड़े बड़े घोटालों जैसे २जी, राष्ट्रमंडल खेल और आदर्श सोसाइटी आदि के पैसे का बड़ा हिस्सा काग्रेस पार्टी कि तिजोरी मैं गया है जिसका प्रयोग वो अगले लोकसभा चुनावों मैं अपने पुत्र राहुल को देश के सत्ताशीर्ष पर स्थापित करने मैं करेंगी?? भगवान का शुक्र है के न्यायपालिका अभी भी किसी हद तक स्वंतंत्र है ..
ऐसा लगता है कोई इस बात पर ध्यान नहीं दे रहा है कैसे सोनिया गाँधी के शासन मैं बहुत से वामपंथी बुद्धिजीवियों को खुलेआम देश मैं अलगाववाद फेलाने दिया जा रहा है और सरकार भारतीय सेना को कमजोर करने का निरंतर प्रयास कांग्रेस सरकार द्वारा किया जा रहा है | भारतीय सेना जो भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान की एकमात्र ऐसी संस्था है जो अभी भी हजारों सालो की साहस, सम्मान और मात्रभूमि के प्रति निष्ठा की क्षत्रिय परम्परा का पालन कर रही है और सच्चे अर्थो मैं धर्मं निरपेक्ष है जिसमें हिंदू या मुस्लिम के आधार पर सेनिकों मैं कभी भेदभाव नहीं किए जाता और जो नाममात्र कि तनखाह पर देश के लिए अपनी सेवाएं और प्राण तक देते हैं ऐसे संस्था को हिंदू मुस्लिम जनगड़ना करा कर विभाजित करना और कश्मीर एवं लद्दाख मैं सेना कि उपस्थिति को कम करने जैसे कमजोर करने के प्रयास किये जा रहे हैं जिससे केवल पाकिस्तान और चीन को ही फायदा होगा |

अक्सर उन लोगों द्वारा जो सोनिया गाँधी को नजदीक से जानने का दावा करते हैं द्वारा उनकी व्यक्तिगत इमानदारी, सदाशयता और अपने निकट के लोगों का ख्याल करने की विशेषताओं कि बातें की जाती हैं पर सच्चाई ये है के ये असम्भव है के फ्रांस मैं किसी गेर-इसाई को फर्ज कीजिये किसी हिंदू को जो कि ना तो देश का राष्ट्रपति हो ना प्रधानमंत्री को परदे के पीछे से सर्वोच्च सत्ता का संचालन करने दिया जाए और उसकी सत्ता देश के चुने हुए प्रधानमंत्री से भी ऊपर हो, क्या कांग्रेस मैं कोई भी योग्य व्यक्ति नहीं जो ये जिम्मेदारी उठा सके?


क्या 1.2 अरब भारतीय अपने बीच से कोई व्यक्ति अपना देश चलाने के लिए नहीं चुन सकते जो भारत की जटिलताओं और यंहा के जीवन कि गूढ्ताओं को समझता हो और भारतीय भी हो ?? पर केवल ये ही नहीं सोनिया गाँधी कि भारतीय सत्ता शीर्ष पर उपस्थिति कई तरह कि द्रश्य और अद्रश्य शक्तियों को काम करने का मौका देती हैं हो भारत के लिए हानिकारक हैं |





वैसे मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ के पश्चिम के श्रेष्ठ मूल्यों को अपनाने की कोशिश करने मैं कोई हर्ज नहीं है जैसे – लोकतंत्र, तकनिकी उन्नति और उच्च जीवनस्तर आदि पर अंधानुकरण सही नहीं होगा क्यूंकि पश्चिम मैं बहुत से सामाजिक संस्थान और परम्पराएँ टूट और बिखर रही हैं जैसे – हर तीन मैं से २ शादियों का अंत तलाक मैं होता है, बच्चों मैं अति-हिंसा कि प्रवृत्ति, बुढ़ापे मैं आर्थिक एवं पारिवारिक सहारे का अभाव, यूवाओं के बड़े वर्ग मैं डिप्रेसन जैसी मानसिक समस्याएं आदि और पश्चिम इन समस्याओं का जबाब अन्य संस्कृतियों समाजों मैं खोजने कि कोशिश कर रहा है खासकर भारतीय संस्कृति मै |


अक्सर भारतीय खासकर युवा इस बात कि गंभीरता को नहीं समझ पाते कि कैसे हर कीमत पर उतावली मैं भारत के अंधे पश्चिमीकरण का प्रयास इस शासन मैं किया जा रहा है | सोनिया गाँधी और उनके सिपहसालारों को इस बात को समझने कि जरुरत है भारत मैं 85 करोड़ और पूरी दुनिया मैं 1 अरब हिंदू अभी भी हैं और पिछले १००० साल के विदेशी आक्रमणों से जो कुछ अच्छी बातें संस्कृति मैं शामिल भी हुई हैं पर ये हिंदू संस्कृति और आध्यात्म दर्शन ही हैं जो भारत को विशिष्ट बनाते हैं और यही सांस्कृतिक विशिष्टता ही भारतीय इसाइयों को यूरोपीय और अमेरिकेन इसाइयों और भारतीय मुस्लिमों को अरब के मुसलमानों से अलग करते हैं |
भारत का दुर्भाग्य है के ये लंबे समय तक गुलामी कि जंजीरों मैं जकड़ा रहा और चीन से अलग ये आज भी अपनी समस्याओं का समाधान पश्चिम मैं ढूंडने का कोशिश करता है और सोनिया गाँधी का सत्ताशीर्ष पर होना आधुनिक भारत की उसी मानसिक दासता का परिणाम है और इसलिए वो लोकतान्त्रिक छद्म वेशभूषा मैं भारत कि मलिका है|

* (लेखक पेरिस से छपने वाले ला नोउवेल्ले डेल’ इन्डे के प्रमुख संपादक हैं एवं कई किताबों के लेखक हैं जिनमें श्री श्री रविशंकर पर लिखी गयी द गुरु ऑफ जोय [हे हाउस पब्लिकेशन – 1,25,000 से ज्यादा प्रतियाँ 7 देशों मैं] प्रमुख हैं)

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