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Friday, 26 December 2014

जम्मू और कश्मीर में सरकार बनाने का हक किसे है?

जम्मू-कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी? इसे लेकर देश की सेकुलर-इंडस्ट्री परेशान है. उन्हें लग रहा है कि अगर कश्मीर में बीजेपी की सरकार बन गई तो उनकी दुकान का क्या होगा? उनकी तो सारी थ्योरी ही फेल हो जाएगी. इसलिए, कांग्रेस पार्टी, सेकुलर पार्टियां, सेकुलर विश्लेषक व पत्रकार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कश्मीर में किसी भी कीमत पर बीजेपी की सरकार न बन सके.

कांग्रेस के दोगलेपन की कहानी ये है कि एक तरफ पार्टी हिंदू-विरोधी इमेज को धोने में लगी है. कार्यकर्ताओं से उपाय पूछ रही है कि पार्टी की हिंदू-विरोधी इमेज को कैसे खत्म किया जाए और दूसरी तरफ कश्मीर में चुनाव के दौरान बीजेपी का डर दिखा कर मुस्लिम वोटबैंक को तैयार कर रही थी. नतीजों ने उन्हें आईना दिखा दिया लेकिन फिर भी सच मानने को तैयार नहीं है. बिना मांगे ही कश्मीर में समर्थन देने को बेकरार हो रही है. कांग्रेस पार्टी को शायद पता नहीं कि पार्टी अब भस्मासुर बन चुकी है जिसके सिर पर हाथ रखेगी वो पार्टी तबाह हो जाएगी. कांग्रेस पार्टी और सेकुलर जमात यह दलील दे रहे हैं कि पीडीपी के पास सबसे ज्यादा सीटें हैं इसलिए पीडीपी को सरकार बनाना चाहिए. क्या उन्हें पता नहीं है कि जम्मू कश्मीर चुनाव में सबसे ज्यादा वोट बीजेपी को मिला है? दरअसल, इनकी मुसीबत यह है कि अगर बीजेपी और पीडीपी का गठबंधन हो गया तो इनके फर्जी सेकुलरिज्म का आधार ही खत्म हो जाएगा.

जम्मू-कश्मीर के नतीजे उम्मीद के मुताबिक ही आए हैं. यह सबको पता था कि किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने वाला है. ऐसे में अगर ये पूछा जाए कि कश्मीर में किसकी जीत हुई तो यह जीत सिर्फ मोदी की जीत है. मोदी का करिश्मा इस राज्य के लोगों के सिर पर चढ़ कर बोला. जिन्होंने बीजेपी को वोट दिया और जिन्होंने नहीं दिया .. दोनों को ही मोदी से उम्मीद है. घाटी में भी बीजेपी हार गई लेकिन मोदी जीत गए. जिन्होंने वोट नहीं दिया उन्हें भी लग रहा है कि मोदी सरकार कश्मीर के लिए जरूर कुछ करेगी. यही आशा मोदी को विजयी बनाती है. इस चुनाव की सबसे अच्छी बात यह है कि कांग्रेस की तरह, इसबार केंद्र सरकार ने इस चुनाव में सत्ता का दुरुपयोग कर उलटफेर करने की कोशिश नहीं की है. इसके लिए कश्मीर की जनता मोदी सरकार की तारीफ कर रही है. एक और बात यह है कि बीजेपी को छोड़ कर सभी पार्टियों ने धार्मिक आधार पर वोट को बांटने वाला कैंपेन किया. मोदी ने विकास के नाम पर धार्मिक वोट बैंक की राजनीति को तोड़ने की कोशिश की. घाटी क्षेत्र में मोदी विफल हुए लेकिन इसे एक शुरुआत तो माना ही जा सकता है.

कश्मीर में अब सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि एक मजबूत सरकार बने. ऐसी सरकार हो जिसकी साख पर कोई सवाल न खड़ा कर सके. जनता ने इस चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस को रिजेक्ट कर दिया है इसलिए सरकार बनाने में इन दोनों पार्टियों की हिस्सेदारी नायजाज है. इन दोनों पार्टियों को जनता के फैसला का सम्मान करना चाहिए और सत्ता की रेस बाहर हो जाना चाहिए. सरकार बनाने में कोई भी घपलेबाजी भारत के लिए नुकसानदेह हो सकती है. इन दोनों पार्टियों की हिस्सेदारी से बनी कोई भी सरकार अवसरवादी और प्रजातंत्र का मजाक मानी जाएगी. इसके अलावा बीजेपी के बिना कोई भी सरकार बनती है तो उसमें जम्मू का प्रतिनिधित्व नहीं होगा जो उचित नहीं है. साथ ही, स्थिर सरकार नहीं बन पाएगी.

कश्मीर को लेकर भारत को पाकिस्तान से भी दो दो हाथ करना होता है. यहां स्थिर, सामर्थ्यवान और प्रभावशाली सरकार की जरूरत है. इसलिए कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की सरकार बनना ही देश और कश्मीर की जनता के लिए सबसे बेहतर होगा. अगर यहां पीडीपी और बीजेपी की मिली जुली सरकार बनती है तो पाकिस्तान के साथ साथ कई लोगों के मुंह पर ताला लग जाएगा. भारत दुनिया को यह संदेश दे सकता है कि कश्मीर में हिंदू-मुसलमान मिल के सरकार चला सकते हैं. यह सही मायने में एक सेकुलर सरकार होगी. मोदी सरकार पाकिस्तान से शक्ति और सख्त होकर बातचीत कर पाएगी. इसके अलावा केंद्र सरकार के साथ जम्मू-कश्मीर के पुनरुद्धार का काम आसानी से शुरु किया जा सकता है. मोदी ने चुनाव के दौरान जो जो वादे किए उसे पूरा करने के लिए वो जिम्मेदार होंगे.

जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भारत के प्रजातंत्र में विश्वास इसलिए दिखाया है क्योंकि वो सुरक्षित और शालीन जीवन व्यतीत करना चाहते हैं. उनकी मांगें ज्यादा नहीं है. वो शांति चाहते है. युवाओं के लिए रोजगार चाहते हैं. सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था हो. वो चाहते हैं कि फिर से कश्मीर में सैलानी आएं. सरकार को इसके लिए कश्मीर घाटी को सैलानियों के लिए सुरक्षित बनाना होगा. फिलहाल, जनता अमन चाहती है इसलिए सरकार के विकास कार्यों में जनता का पूरा समर्थन भी मिलेगा. अगर मोदी कश्मीर की जनता का दिल जीतने में कामयाब हो जाते हैं तो 370 जैसे मुद्दे का हल कश्मीर की जनता खुद ब खुद दे देगी.

भारत के इतिहास में यह एक सुनहरा मौका है जब कश्मीर की समस्या को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है. सेना और डिप्लोमेसी से कश्मीर की समस्या खत्म नहीं होगी. कश्मीर को सदा के लिए भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए कश्मीर के लोगों के दिलों को जीतना होगा. यही मौका है. अगर राजनीति के नाम पर नौटंकी हुई तो यह सुनहरा मौका हाथ से निकल जाएगा.

- Dr. Manish Kumar, Editor, Chauthi Duniya

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