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Saturday, 7 June 2014

आरोप लगाने से पहले तथ्य जांच लें केजरीवाल


स्वामीनाथन एस अंकलेसरिया अय्यर

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली पर मुकेश अंबानी के साथ षड्यंत्र करके नैचरल गैस की कीमत बढ़ाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है। आरोप है कि इस षड्यंत्र की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज को अरबों का फायदा होगा। कांग्रेस के नेताओं और अंबानियों ने इतने सालों में हजारों पाप किए होंगे, मुझे खुशी होगी कि इन्हें दबोचने की कोई गंभीर कोशिश हो। लेकिन, इसके लिए मजबूत आधार और सबूत होने चाहिए, जबकि केजरीवाल ने झूठ के आधार पर एक बेवकूफाना षड्यंत्र की थ्येरी का समर्थन कर दिया है।

पब्लिक सेक्टर की कंपनियों की, जिसमें ओनएनजीसी सबसे अग्रणी है, देश के गैस उत्पादन में दो-तिहाई हिस्सेदारी है। रिलायंस का इस उत्पादन में महज 10% हिस्सा है। इसलिए, यह कहना सरासर झूठ है कि मोइली रिलायंस को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। हकीकत यह है कि सबसे ज्यादा फायदा पब्लिक सेक्टर कंपनियों को होगा।

मोइली ने तो सिर्फ सी रंगराजन के नेतृत्व वाले छह सदस्यों के पैनल की सिफारिश को लागू किया है। केजरीवाल के कहने का मतलब है कि इन सभी विशेषज्ञों को रिलायंस ने फायदा पहुंचाया है। यह सम्मानित लोगों पर झूठा कलंक लगाने के सिवा कुछ भी नहीं है।

तथ्य यह है कि रंगराजन पैनल पूर्व पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने बनाया था, जो रिलायंस के धुर विरोधी थे और गैस की कीमत बढ़ाने के खिलाफ थे। ऐसे में यह दावा अविश्वसनीय है कि जयपाल रेड्डी द्वारा रिलायंस को फायदा पहुंचाने के लिए पैनल गठित किया गया था।


मशहूर नौकरशाह टीएसआर सुब्रमण्यम और ईएएस सरमा ने जनहित याचिका दायर करके रिलायंस पर आरोप लगाया है कि कंपनी ने कृष्णा-गोदावरी क्षेत्र में बनावटी तरीके से गैस निकालने की लागत बढ़ा दी है, ताकि ऊंची कीमत वसूल कर वह अपना खजाना भर सके। इन लोगों का यह भी आरोप है कि कंपनी ने जानबूझकर झूठे तकनीकी कारणों का हवाला देकर पिछले कुछ सालों में गैस का उत्पादन घटा दिया है, जबकि इसका असली मकसद यह है कि अप्रैल 2014 में गैस की कीमत बढ़ने तक भंडार को सुरक्षित रखा जाए।

इस आरोप पर तकनीकी विशेषज्ञ ही कुछ राय दे सकते हैं। अगर रिलायंस दोषी पाई जाती है, तो उसे सजा मिलनी चाहिए। लेकिन, गैस की कीमत का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। गैस की कीमत का संबंध सभी उत्पादक कंपनियों से है न कि सिर्फ रिलायंस से।

ओएनजीसी और गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को भी गैस के भंडार मिले हैं। ओएनजीसी कई बार मांग कर चुकी है कि कम-से-कम 7 डॉलर/यूनिट की दर से कीमत ही आर्थिक रूप से टिकाऊ हो सकती है। जीएसपीसी ने तो 13-14/यूनिट की मांग की है। भारत इस समय बड़े पैमाने पर 12-14 डॉलर/यूनिट की दर से गैस का इंपोर्ट कर रहा है। सरकार ने तुर्कमेनिस्तान से कीमत के जिस फॉर्म्युले पर गैस इंपोर्ट करने का समझौता किया है, उसके मुताबिक कीमत 12/यूनिट पड़ेगी।

गैस निकालने के सार कॉन्ट्रैक्ट्स कहते हैं कि खोजी गई गैस बाजार कीमत पर बेची जा सकती है, जबकि भारत में कीमत पर सरकार का नियंत्रण है। इसलिए, दुनिया भर में भारत की छवि खराब है और गैस निकालने वाली टॉप कंपनियां हमारे यहां आने से परहेज करती हैं। अर्थशास्त्र का नियम कहता है कि कीमत इंपोर्ट गैस के मूल्य के आसपास होनी चाहिए। रंगराजन ने 8 डॉलर/यूनिट की जो सिफारिश की है, वह इंपोर्ट की गई गैस की कीमत से काफी कम है।

मोइली के खिलाफ केजरीवाल की एफआईआर का बेतुकापन आप इस तरह से समझ सकते हैं। कल्पना कीजिए कि मोइली केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएं और इसका मजमून कुछ इस तरह हो, अरविंद केजरीवाल की शेल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से मिलीभगत है, ताकि भारत को गैस के मामले में इंपोर्ट पर ही निर्भर रखा जाए और इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों को जमकर फायदा हो। देश में कई पावर स्टेशन गैस की किल्लत की वजह से बंद हो गए हैं और हम अभी करीब 28 हजार करोड़ रुपये की गैस इंपोर्ट कर रहे हैं। इंटरनैशनल एनर्जी असोसिएशन का अनुमान है कि साल 2017 तक भारत आज के मुकाबले 72% अधिक गैस का इंपोर्ट करने लगेगा। इसलिए जरूरी है कि घरेलू गैस उत्पादन को फायदेमंद बनाया जाए। हालांकि, हो यह रहा है कि केजरीवाल ऐंड कंपनी देसी गैस कंपनियों के लिए दाम इतना कम रखने की साजिश कर रही है ताकि विशाल भंडारों से गैस उत्पादन आर्थिक दृटि से फायदेमंद न बन पाए।

उन्होंने ओएनजीसी और जीएसपीसी की उस मांग पर ध्यान नहीं दिया, जिसमें कहा गया है कि उत्पादन की लागत को निकालने के लिए 7-13/यूनिट कीमत जरूरी है। यह साफ तौर पर भारत को गैस की कमी वाला देश बनाए रखने और विदेशी सप्लायर कंपनियों को अरबों डॉलर का फायदा पहुंचाने की साजिश है। इसमें केजरीवाल का कितना कट है?

ज्यादातर देश विदेशी सप्लायर के बजाय घरेलू कंपनी को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन, केजरीवाल सस्ते घरेलू उत्पादन की जगह ऊंची कीमत पर इंपोर्ट को प्राथमिकता देना चाहते हैं। यह ऑस्ट्रेलिया और तिमोर में नए गैस प्रॉजेक्ट्स लगाने वालीं मल्टिनैशनल कंपनियों का फायदा पहुंचाने की खुल्लमखुल्ला साजिश है।

कतर एशिया में गैस का सबसे उत्पादक और निर्यातक देश है। कतर गैस का उत्पादन बड़े पैमाने पर बढ़ाने की योजना बना रहा है और निश्चित रूप एशिया के टॉप उपभोक्ता भारत को टारगेट करेगा। केजरीवाल ऐंड कंपनी सीरिया में लड़ रहे जिहादियों को भारी पैमाने पर आर्थिक मदद करने वाले कतर को क्यों फायदा पहुंचाना चाहती है? क्या केजरीवाल और जिहादियों के बीच कोई सीक्रेट लिंक है? पुलिस को इस लिंक की जांच करनी चाहिए और सारे राष्ट्र विरोधी तत्वों को बेनकाब करना चाहिए।'

मुझे उम्मीद है कि सभी पाठकों को इस मजाक को पढ़कर खूब हंसी आई होगी। इसका उद्देश्य केजरीवाल के तर्कों को उन्हीं पर लागू करना और बेतुकापान को उजागर करना है। षड्यंत्र की उनकी पूरी कहानी इस झूठ पर आधारित है कि गैस की कीमत बढ़ने का सबसे ज्यादा फायदा रिलायंस को होगा। यह मजाक इस तथ्य पर भी आधारित है कि गैस की कीमत को इंपोर्ट प्राइस से बनावटी तौर पर कम रखना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विध्वंसकारी है। घरेलू उत्पादकों से भेदभाव विदेशी कंपनियों के लिए बोनांजा साबित हो सकता है।

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